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आपकी थाली में परोसे जा रहे है प्लास्टिक चावल,जिससे होसकता है कैंसर का खतरा

Tez Samachar by Tez Samachar
May 12, 2017
in देश
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नई दिल्ली(तेज़ समाचार प्रतिनिधि):इन दिनों सोशल मीडिया में प्लास्टिक से बने चावल की खूब चर्चा हो रही है। चूंकि चावल फूड प्रॉडक्ट है और पूरे देश में इसका यूज होता है, लेकिन हैरान करने वाली बात यह है कि चीन से आ रहा यह प्लास्टिक से बना चावल नैचरल चावल से बिल्कुल अलग होता है। डॉक्टर्स का कहना है कि एक दो बार खाने में जहां इससे नॉजिया, वोमेटिंग, पेट दर्द हो सकता है, वहीं लंबे समय तक यूज करने से लीवर का कैंसर तक हो सकता है।जानकारों का कहना है कि प्लास्टिक चावल को नैचरल चावल में मिक्स करके बेचा जा रहा है।

 

प्लास्टिक चावल का साइज और कलर बिल्कुल नैचरल चावल की ही तरह होता है। इसलिए इसकी पहचान करना भी आसान नहीं है। अगर प्लास्टिक चावल मिक्स करने के बजाय अलग से बेचा जाएगा तो उसकी पहचान संभव है। सूत्रों के अनुसार, आलू, शलगम और प्लास्टिक को मिला कर इस तरह का चावल बनाया जाता है। फिर इसमें रेजिन मिलाई जाती है। रेजिन पेड़ से निकलने वाला एक तरह का हाइड्रोकार्बन द्रव्य है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर गुब्बारे और प्लास्टिक की दूसरी चीजें बनाने में किया जाता है। इन चीजों को मिला कर चावल का आकार दिया जाता है।

एशियन हॉस्पिटल के गेस्ट्रोलजिस्ट डॉक्टर राम चंद्रा सोनी का कहना है कि प्लास्टिक को इंटेस्टाइन अब्जॉर्ब नहीं कर पाती है, इसकी वजह से इंटेस्टाइन वीक होने लगती है। अगर कोई इंसान लंबे समय तक ऐसा चावल खाता है तो इसकी वजह से उसका इंडोक्राइन और हार्मोनल सिस्टम तक पर असर हो सकता है, यहां तक की लीवर कैंसर होने का खतरा है। डॉक्टर ने कहा कि इसमें दो तरह का रिऐक्शन होता है, एक लोकली होता है और दूसरा अडवांस। अगर कभी-कभार खाया जाए तो उल्टी, दस्त, पेट में दर्द होता है, लेकिन लगातार यूज किया जाए तो कैंसर तक होने का खतरा है।

 

 

 

तो कैसे पहचानें प्लास्टिक चावल?

 

– प्लास्टिक चावल में कोई खूशबू नहीं होती है, मिलावट ज्यादा होगी तो पकने पर प्लास्टिक जैसी गंध आएगी।

 

– पकते समय सूंघ कर इसे पहचाना जा सकता है।

 

 

– यह चावल पेट में जा कर ना तो पचता है और ना ही सड़ता है।

 

– प्लास्टिक राइस पकने के बाद कठोर ही रहता है।

 

 

– चावल की खूशबू से असली और नकली में पहचान की जा सकती है। लेकिन ऐसा हर बार संभव नहीं है। कई बार असेंस की मिलावट भी होती है।

 

 

 

– चावल को थोड़ा उबालकर फैला कर रखने पर पता चल सकता है।

 

– पका हुआ चावल दबाने पर असली चावल दब जाएगा, जबकि नकली नहीं दबेगा।

 

 

– असली चावल जल्दी टूट जाता है, लेकिन प्लास्टिक वाला नहीं टूटता है।

 

Tags: #Health#indian army#plastic riceChinadanger
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