मुजफ्फरनगर. शनिवार को हुए रेल हादसे के बाद से रेलवे प्रशासन की भीषण लापरवाही सामने आने आयी है. हादसे की जांच कर रही समिति ने भी हादसे में लापरवाही को उजागर किया है. सामने आया है कि मरम्मत व मैंटेनेंन्स में गंभीर लापरवाही बरती जा रही है. यहां तक कि जिस रूट से दिन मंे अनेक ट्रेनें गुजरती है, वह ट्रैक ही पूरी तरह से आउट डेटेड.
रेलवे के एक रिटायर्ड अधिकारी ने बताया कि, रेलवे में भारी संख्या में वर्कर्स की कमी है. वहीं, आउट डेटेड मैटेरियल से काम चलाया जा रहा है, जिस वजह से ये हादसे हो रहे हैं.
रिटायर्ड अधिकारी और नॉर्दन रेलवे मेन्स यूनियन (एनआरएमयू) के प्रेसिडेंट एस.के. त्यागी ने बताया कि, रेल होदसों का सबसे बड़ा कारण ये है कि हमारे 40 प्रतिशत ट्रैक आउट डेटेड हैं. इसके अलावा कई रूट ऐसे हैं जिनके ट्रैक अक्सर खराब रहते हैं. इन ट्रैक्स को मेंटेन कराकर चलाया जा रहा है. इतना ही नहीं ट्रैक को सुबह और शाम जांच का नियम है. लेकिन मैन पावर की कमी की वजह से ये जांच भी नहीं हो पा रही. ऐसे में हादसे तो होंगे ही. ये बातें सारे अधिकारी जानते हैं, फिर चाहे वो मैनेजमेंट हो या निचले स्तर पर काम कर रहे डीआरएम या अन्य कर्मी. कोई पॉलिसी भी बनती है तो वो फाइल इतनी जगह से घूमती है कि दोबारा मिलती ही नहीं. बस कागजों पर सारी चीजें दी जा रही हैं.
उत्तर प्रदेश में पिछले डेढ़ साल में हुए रेल हादसे
- 20 फरवरी 2017: कालिन्दी एक्सप्रेस के टुंडला में 12 डिब्बे पटरी से उतरे. 23 की मौत
- 20 नवंबर 2016: कानपुर के पास इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसा. 121 लोगों की मौत.
- 20 मार्च 2015:रायबरेली के बछरावां के पास देहरादून-वाराणसी एक्सप्रेस हादसा. 32 की मौत.
- 1 अक्टूबर 2014: गोरखपुर में क्रासिंग पर दो ट्रेनों की आमने-सामने टक्कर. 14 की मौत.