– भाजपा सचिव सुनील देवधर ने विरोधियों को घेरा
पुणे (तेज समाचार डेस्क). नागरिकता सुधार कानून (सीएए) लाने के लिए महात्मा गांधी, पंडित नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, मनमोहन सिंह, प्रकाश करात आदी ने दोहराया था. लेकिन दु:ख की बात यह है कि ७० साल में किसी ने भी यह कानून नहीं लाया. उसे प्रतीक्षा में रखा गया. नतीजन, पड़ोसी देशों के लाखों निर्वासित भारतीयों ने अपनी जान गंवा दी और कई महिलाओं को अत्याचार का सामना करना पड़ा. किसी भी हिंदू नागरिकों पर अन्याय ना हो और निर्वासितो को भारतीय नागरिकता का हक मिले, इसलिये यह कानून महत्वपूर्ण है. जो पिछले ७० साल में नहीं हुआ, वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने कर दिखाया. यह कानून ७० साल में हुई गलतियों का सुधार है. ऐसा प्रतिपादन भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सचिव सुनील देवधर ने किया.
– गले लगाएंगे लेकिन सिर पर नहीं बिठाएंगे
शिवसमर्थ प्रतिष्ठान और मृत्युंजय अमावस्या विचार मंच की ओर से शिवजन्मोत्सव समारोह पर देवधर का ‘सीएए : आक्षेप व वास्तविकता’ विषय पर विशेष व्याख्यान हुआ. सिंहगढ़ रोड के सनसिटी में हुए इस कार्यक्रम में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल, महापौर मुरलीधर मोहोल, सांसद गिरीश बापट, विधायक माधुरी मिसाल, भीमराव तापकीर, शहराध्यक्ष जगदीश मुलिक, संगठक राजेश पांडे, नगरसेविका मंजुषा नागपुरे, बाबा मिसाल, संयोजक दीपक नागपुरे, निलेश भिसे आदी उपस्थित थे. सुनील देवधर ने कहा, “पिछले सत्तर वर्षों में, कांग्रेस ने केवल मुस्लिमों की राजनीति की. लेकिन २०१४ में, प्रधानमंत्री मोदी ने मुस्लिम समुदाय की टोपी न पहनकर स्पष्ट संदेश दिया कि, हम आपको गले लगा सकते हैं, लेकिन आपको सिर पर नहीं बिठा सकते. हिंदू समाज सहिष्णु और शांतिपूर्ण है. किसी को भी इस समुदाय को सहिष्णुता का पाठ देने की जरूरत नहीं है. सहिष्णुता हमारे नस नस में समायी हुई हैं.
– स्त्री-पुरुष समानता का ज्ञान देने की जरूरत नहीं
स्त्री-पुरुष समानता का ज्ञान देने की जरुरत नहीं है. स्त्री-पुरुष समानता की सीख देने की जरूरत नहीं. डॉ. आंबेडकर हिंदू समुदाय के सबसे श्रेष्ठ समाज सुधारक थे. आज के पाखंडी और देश-विरोधी आंबेडकरवादी नेता जान बूझकर हिंदू समाज में द्वेश पैदा करने के लिए आंबेडकर को दलित समुदाय तक सीमित रखा है. हम सभी को फूले और आंबेडकर को पढ़ना और समझना चाहिए. अभी के तरह पहले भी उस समय के कांग्रेस के ‘नो स्वराज, विदाउट हिंदू मुस्लिम यूनिटी’ मुस्लिमों का समाज में वजन बढाने की राजनीति के चलते संघ की स्थापना की गयी. मूल भारतीय संविधान में ‘सेक्युलर’ शब्द का उल्लेख नहीं था. १९७६ में इमरजेंसी के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इस शब्द को समाहित कर दिया. इस कानून का विरोध करने वाले नेता लोगों को भ्रम में ना डालें.
– अचानक नहीं लाया गया सीएए
देवधर ने कहा कि यह कानून चार दिन में नहीं लाया गया. मोदी सरकार के पहले टर्म में इस कानून को लोकसभा में लाया गया था. परंतु बहुमत ना होने के कारण राज्य सभा में यह पास नहीं हो पाया. इस कानून का मसौदा बनाने से पहले अनेक फिल्ड विजिट्स हुयी थी, उसी के साथ बडा अभ्यास किया गया. नोटबंदी की बजह से आतंकवाद को कम करने में मदद मिली. कश्मीर को छोड देश के किसी भी क्षेत्र में मोदी सरकार के कार्यकाल में आतंकवादी हमला नहीं हुआ. मोदी सरकार के विरोधी ढोंगी और संधिसाधू हैं. अवॉर्ड वापसी गैंग के सदस्य केवल पुरस्कार लौटाते हैं, पर उसके साथ मिला धनादेश नहीं लौटाते. उन्होंने कहा कि जेएनयू उत्तम शैक्षणिक संस्था है लेकिन मुट्ठी भर छात्रों की वजह से संस्था का नाम बदनाम हो रहा है.”
– देश में दरार डालना चाहते है वामपंथी
चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि शहरी नक्सलवाद पर रोक लगाने का प्रयास करने के करण वामंपथी देश में दरार डालने का प्रयास कर रहे हैं. यह कानून मुस्लिम विरोधी नहीं है. सामान्य लोगों को इस कानून को समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि शाहीनबाग सोची समझी व रची हुई साजिश है. हिंदूवादी कहने वाले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी सत्ता के कारण दोहरी मानसिकता में है. इस कानून के बारे में दुष्प्रचार करने वाले वामपंथी , कांग्रेस और अन्य विरोधियों को अलग थलग करने के लिए एकसाथ आना होगा.
– तीन करोड बांग्लादेशी घुसपैठिए
चक्रधर ने कहा कि एनपीआर के कारण अनधिकृत तरह से भारत में रहनेवाले तीन करोड बांगलादेशी नागरिकों को वापस भेजना आसान होगा. ‘डिटेन्शन सेंटर’ ने ऐसे अनधिकृत घुसपैठिए को वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी होने तक रखने तक बंधे हुए हैं. उन्हें जानबूझकर गलत तरीके से भटकाया जा रहा है. भारत ने हमेशा सहिष्णुता और धर्मनिरपेक्षता को पुरस्कृत किया है. हालांकि, अन्य पड़ोसी राष्ट्रों ने, स्वतंत्रता के बाद खुद को मुस्लिम राष्ट्र घोषित किया.