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चक्रव्यूह: दिल्ली के ‘मातोश्री’ पर शेर का साष्टांग दंडवत?

Tez Samachar by Tez Samachar
November 16, 2019
in Featured, विविधा
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चक्रव्यूह: दिल्ली के ‘मातोश्री’ पर शेर का साष्टांग दंडवत?

” अपनी फतेह पर अगर 

गुरूर आने लगे तो,

चुपके से मिट्टी से पूछ लेना

आजकल सिकंदर कहां है ? “

  ‘मैं फिर से वापस आऊंगा’ (मी पुन्हा येईल) का जुमला चुनाव प्रचार में देने वाले सत्ताधीश आज कल राजनीतिक पटल पर दिखाई नहीं दे रहे हैं. ‘वर्षा’ नामक सरकारी बंगला उन्हें खाली करना पड़ रहा है. शायद ‘वर्षा’ से भी वे यही कहकर विदा ले रहे होंगे कि ‘मैं लौटकर फिर आऊंगा!’ भगवान करे कि उनकी यह इच्छा, मनोकामना या महत्वाकांक्षा… अगले 5 साल के भीतर (मध्यावधि) पूरी हो जाए. लेकिन जिस तरह हमारे एक भारी-भरकम मंत्री जी ने तंज किया कि क्रिकेट और राजनीति में अंतिम समय में कुछ भी हो सकता है, तो भगवा दल (भाजपा) के सामने ‘वेट एंड वॉच’ करने के सिवाय कोई दूसरा पर्याय भी नहीं है. क्योंकि अपने राज्य में अब ‘कांशीराम सरकार’ बनने की संभावनाएं बढ़ गई हैं. यहां ‘काशीराम’ का मतलब ‘कांग्रेस, शिवसेना, राष्ट्रवादी और मनसे’ है.
     पिछले 20-22 दिनों में हमने टीवी चैनल के ‘हीरो’ संजय राऊत के मुंह से कई बार सुना है, ‘महाराष्ट्र, कभी दिल्ली के आगे नहीं झुकता!’ महाराष्ट्र के स्वाभिमान के लिए उनकी इस बात को हमारा सैल्यूट है, सलाम है. लेकिन हम यह क्या देख रहे हैं कि ‘मातोश्री’ से निकलकर जो तथाकथित शेर कभी राज ठाकरे से मिलने तक नहीं निकला, अब सत्ता की हड्डी खाने के लिए ‘मातोश्री’ से निकलकर माणिकराव ठाकरे (कांग्रेसी नेताओं) से मिलने होटल तक चला गया. क्या इसको सत्ता के लिए अपने उसूल तोड़ना नहीं कहेंगे? वैसे भी ‘सत्ता के सामने किसी की होशियारी नहीं चलती!’ इसलिए एक ठाकरे द्वारा दूसरे ठाकरे के सामने झुकने की बात तो गले से नीचे उतर गई, मगर यदि यही शेर अगर दिल्ली की ‘मातोश्री’ के सामने साष्टांग दंडवत करने लगेगा, तो सबको आश्चर्य होगा या नहीं? और यह दृश्य हमें जल्द ही दिखाई देगा.
      आप मानो या ना मानो, लेकिन सौ फ़ीसदी सच्चाई यही है कि बालासाहब ठाकरे के समय की ठसक अब उनके वारिस ने ही पुत्रमोह में तबाह कर दी है. किसी जमाने में अटलबिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, प्रणब मुखर्जी, प्रतिभा पाटिल, नरेंद्र मोदी जैसे दिग्गज नेता मुंबई के ‘मातोश्री’ पर जाकर शीश नवाते थे. 5 साल पहले और 6 माह पहले अमित शाह भी यहां नतमस्तक होकर (मोलभाव करके) गए. लेकिन ऐसा क्या हुआ कि शिवसेना के शेर को महाराष्ट्र की राजनीति के महा-पहलवान (शरद पवार) ने गले में पट्टा डाल कर दिल्ली की ‘मातोश्री’ के सामने खड़ा कर दिया! अगर दिल्ली की ‘मातोश्री’ का हुकुम मुंबई के ‘मातोश्री’ वाले नहीं मानेंगे, तो हमें डर है कि सत्ता का यह लालची शेर, उस अंधी खाई में जा गिरेगा, जहां से उसका निकलना मुश्किल होगा. हमें तो यह भी आशंका है कि भविष्य में महाराष्ट्र के इस तथाकथित शेर को दिल्ली दरबार वाले इतना झुकाएंगे, इतना रुलाएंगे कि कहीं इसका भी ‘कुमारस्वामी’ ना हो जाए!
     अब एक सच्चाई और देखिए. महाराष्ट्र की राजनीतिक आबोहवा इन दिनों खराब है. इसके कारण पीड़ित किसानों का जीना मुश्किल हो गया है. किसानों के जख्मों पर अपने आश्वासनों का मरहम लगाने के बाद सरकार बनाने का फार्मूला लेकर तीनों दलों के सत्तालोलुप सफेदपोश दिल्ली की ‘मातोश्री’ में बैठकर न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर सहमति की मुहर लगा रहे हैं. एक समय महाराष्ट्र की सत्ता का जो ‘रिमोट कंट्रोल’ मुंबई के ‘मातोश्री’ से होता था, अब दिल्ली की ‘मातोश्री’ से होने लगा है. वैसे भी दिल्ली की हवा इन दिनों बहुत खराब है. प्रदूषित है. डर है कि तीनों दलों की सहमति से बने उस ‘ड्राफ्ट’ को कहीं ‘दिल्ली का राजनीतिक प्रदूषण’ ही खराब ना कर दे. अगर ऐसा हुआ, तो दो चट्टानों में फंसे घायल शेर की कितनी किरकिरी होगी? ऐसे में महाराष्ट्र का स्वाभिमान अगर दिल्ली के तलवे चाटेगा, …तो उसे कोई सहन नहीं करेगा.

देखो ऐ दीवानों ऐसा काम ना करो…

महाराष्ट्र का नाम बदनाम ना करो!

 
(संपर्क 96 8992 6102)
Tags: a-prostration-of-a-lion-on-matoshree-of-delhiCMdevdendra fadnivismaharashtra govtshiv senaudhav thakarey
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