प्रयागराज (तेज समाचार डेस्क): राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सभी कार्यकर्ता अपने जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसलिए लोगों को संघ से जुड़कर काम करने एवं उसे जानने की इच्छा बढ़ी है लेकिन संवाद नहीं हो पाता। संघ को समझना और समझाना दोनों कठिन है। संघ ने अपनी स्थापना के 94 वर्ष पूरे कर लिए हैं और क्या सौ वर्ष पूर्ण होने पर अपने लक्ष्य को पूरा कर पाएंगे। हमारा लक्ष्य और उद्देश्य क्या है, यह जानना जरूरी है। यह बातें अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार ने सोमवार शाम मोती लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज,प्रयागराज के प्रीतम दास प्रेक्षागृह में ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-परिचय एवं संवाद’ विषय पर कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कही।
संघ को जानने के लिए पहले डॉ हेडगेवार को जानना जरूरी
अरुण कुमार ने कहा कि संघ को जानना है तो पहले डॉ हेडगेवार को जानना जरूरी है। जैसा बीज होता है, वैसा ही फल मिलता है। उन्होंने कहा कि डॉ हेडगेवार के 11 वर्ष की आयु में ही माता-पिता का देहान्त हो गया था। उनके चाचा ने पालन-पोषण किया। वह उच्च शिक्षा प्राप्त किए लेकिन उस समय किसी की गुलामी उन्हें पसन्द नहीं थी।
सभ्य समाज ही आदर्श देश का निर्माण कर सकता
अ.भा. प्रचार प्रमुख ने कहा कि डॉ हेडगेवार देश का उद्धार करने के लिए कई संगठनों में सम्मिलित हुए और सदैव आगे रहते थे। उनका मानना था कि किसी लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए किसी के साथ सम्मिलित होना जरूरी है। वह असहयोग आंदोलन में एक वर्ष जेल में भी रहे। उन्होंने चिन्तन किया कि आज हमारा देश विपत्ति में है और छोटे-छोटे लालच में लोग गड़बड़ कर देते हैं। एक सभ्य समाज ही आदर्श देश का निर्माण कर सकता है।
जब तक समाज राष्ट्र के बारे में नहीं सोचेगा तब तक विकास संभव नहीं
प्रचार प्रमुख ने बताया कि डॉ हेडगेवार ने समाज एवं राष्ट्र में सुधार का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है और भेदों की समाप्ति होनी चाहिए। यही बातें सोचकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 में की। उन्होंने कहा कि जब तक समाज राष्ट्र के बारे में नहीं सोचेगा तब तक विकास नहीं हो सकता। इसलिए समाज को संगठित व बलशाली करना महत्वपूर्ण है। देश की आजादी हमारी प्राथमिकता रही।
संघ के पास न तो कोई बैंक बैलेंस और ना ही कोई सम्पत्ति
उन्होंने कहा कि व्यक्ति को देखकर ही व्यक्ति बदलता है। एक अच्छे व्यक्ति के सम्पर्क में आने पर ही अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण होता है, यही संघ का कार्य है। उन्होंने कहा कि इतना विशाल संगठन होते हुए भी संघ के पास न तो कोई बैंक बैलेंस है और ना ही कोई सम्पत्ति। गुरु दक्षिणा में मिलने वाला धन समाज के लिए खर्च होता है। संघ के नाम कोई बैंक खाता भी नहीं है।
हम अपना विरोधी किसी को नहीं मानते, संघ की तुलना किसी से नहीं
अरुण कुमार ने कहा कि संघ में आकर जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते हैं तो समझ में आता है। देश में कई संस्थाएं हैं और संघ की तुलना किसी से नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि हम अपना विरोधी किसी को नहीं मानते लेकिन विरोधी संघ की प्रतिमा पहले ही ले जाकर स्थापित कर देते हैं। उन्होंने महात्मा गांधी की हत्या का उदाहरण देते हुए बताया कि उसमें संघ का कोई हाथ नहीं लेकिन विरोधियों ने संघ को वहां ले जाकर स्थापित कर दिया। जबकि जांच और रिपोर्ट में संघ कहीं नहीं है।
संघ में पदों की होड़ और कोई लालच नहीं
उन्होंने कहा कि व्यक्ति निर्माण से ही राष्ट्र निर्माण होता है। संघ की परिकल्पना यही है। निःस्वार्थ भाव से कार्य करने वालों के बल पर ही आज संघ फैला हुआ है। संघ में प्रेम ही सबको जोड़कर रखती है। उन्होंने कहा कि संघ को हम एक परिवार मानते हैं और उसी रूप में सामूहिक विचारों से चलाते हैं। उन्होंने बताया कि पहली गुरु दक्षिण 1928 में हुई थी, जिसमें उस समय 80 रुपये मिले थे। उन्होंने कहा कि संघ में पदों की होड़ नहीं है, कोई लालच नहीं है। नेकर से पैंट में आने में दस वर्ष लग गए। जब कोई चर्चा जोर पकड़ती है तो उस पर विचार होता है।
संघ को समझना है तो उसके विचारों को जानिए
संघ को समझना है तो उसके विचारों को समझना जरूरी है। भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। राष्ट्र की अवधारणा ही विचार है। लक्ष्य के बारे में कहा कि अपने धर्म के अधिष्ठान पर राष्ट्र को परम वैभव में ले जाना चाहते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भारतीय संस्कृति ने मानवता का शिखर छुआ है। सहिष्णुता, समभाव, समरसता, सहचर्य और विनयशीलता के गुणों ने हमारे समाज को श्रेष्ठ बनाया और इन गुणों को सहेजते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अवधारणाओं में ही जीना मनुष्य का स्वभाव है। अपने आसपास के लोगों एवं संगठनों के विचारों के प्रति हमारी जानकारियां हमें किसी न किसी निष्कर्ष पर पहुंचाती हैं। इन्हीं निष्कर्षों से हमारी धारणाओं का जन्म होता है। अच्छी अवधारणाएं हमारे चिन्तन को संतुलित और व्यवहार को परिमार्जित करती हैं।
इस अवसर पर काशी प्रांत संघचालक डॉ विश्वनाथ लाल निगम एवं विभाग संघचालक प्रो. कृष्ण पाल सिंह बतौर विशिष्ट अतिथि के रूप में मंच पर रहे। इनके अतिरिक्त काशी प्रांत संघ के सरकार्यवाह आलोक, सह विभाग कार्यवाह रमेश दत्त, संजीव, डॉ राज बिहारी सहित कई लोग उपस्थित रहे।