– पुलिस आयुक्त से मिला भाजपा प्रतिनिधिमंडल – संविधान और हिंदुओं के बारे में दिए थे आपत्तिजनक बयान
पुणे (तेज समाचार डेस्क). अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र शरजील उस्मानी ने हाल ही में पुणे में आयोजित एल्गार सम्मेलन में संविधान के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की व हिंदुओं की भावनाओं को आहत करनेवाले भाषण दिए. इसलिए उसपर देशद्रोह का मामला दर्ज होना चाहिए. इतना ही नहीं तो एल्गार सम्मलेन के विवादास्पद आयोजकों के खिलाफ भी सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसी मांग पुणे शहर भाजपा प्रतिनिधि मंडल द्वारा पुलिस आयुक्त से की गई. भाजपा की ओर से चेतावनी भी दी गई कि यदि ऐसा न हुआ तो जन आंदोलन शुरू किया जाएगा.
हालांकि पुणे के स्वारगेट पुलिस स्टेशन में शरजील उस्मानी के खिलाफ दो समुदायों के बीच धार्मिक भावनाओं को भड़ाने के आरोप में धारा 153ए के तहत मामला दर्ज किया गया है.
सत्ता के लिए हिंदुत्व से दूर चली गई शिवसेना
इस संबंध में, जगदीश मुलिक की अगुवाई में शहर भाजपा प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को पुलिस आयुक्त अमिताभ गुप्ता को ज्ञापन भी सौंपा. मुलिक ने कहा, कि सत्ता के लिए हिंदुत्व से शिवसेना दूर चली गई है. महाविकास आघाड़ी के सत्ता में आने के बाद, पालघर में हिंदू साधुओं की हत्याएं हुईं, सावरकर का अपमान किया गया, जानबूझकर हिंदुओं का अपमान किया गया. फिर भी शिवसेना चुप बैठी रही. जिस तरह से हिंदुओं के लिए अपमानजनक बयान उस्मानी जैसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले व्यक्ति ने दिए उससे उसके प्रति राज्य के लोगों में आक्रोष है.
– सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए
मुलिक के अनुसार चार दिन बाद भी उस्मानी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इसलिए, महाराष्ट्र के लोगों की गरिमा को ठेस पहुंचाना शर्म की बात है. सरकार को तत्काल कदम उठाने चाहिए और उस्मानी और एल्गार सम्मेलनों के आयोजन वाले संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. अन्यथा,लोगों का आंदोलन ’तीव्र होगा.
– हिन्दुओं सहित न्यायपालिका का भी किया अपमान
प्रतिनिधिमंडल में शामिल मेयर मोहोल ने कहा कि उस्मानी ने भारतीय संविधान और हिंदुओं के खिलाफ बेहद अपमानजनक और भड़काऊ बयान दिया है. यह बहुत गंभीर मामला है. एक तरह से यह भारत के संघीय ढांचे पर हमला है. शरजील ने न केवल हिंदू समुदाय का अपमान किया है, बल्कि भारतीय न्यायपालिका, विधायिका, पुलिस और प्रशासनिक व्यवस्था का भी अपमान किया है.
– आयोजकों पर होनी चाहिए कार्रवाई
पुलिस को इस सम्मेलन का आयोजन करने वाले उस्मानी और संगठन के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. पूर्व सांसद प्रदीप रावत ने कहा कि एल्गार सम्मेलन का आयोजन प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) द्वारा आयोजित किया गया था. शरजील पर पहले ही हिंसा के आरोप लग चुके हैं. फिर भी उन्हें इस वर्ष सम्मेलन में क्यों आमंत्रित किया गया. उन्होंने बहुत ही आपत्तिजनक बयान दिए हैं.
– आपत्तिजनक साहित्य की भी हुई बिक्री
सम्मेलन स्थल पर झूठे इतिहास, नस्लीय और महापुरुषों के अपमान वाली किताबें भी बेची गईं. इसकी पूरी जांच होनी चाहिए और इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. इस प्रतिनिधिमंडल में विधायक भीमराव तापकीर, विधायक मुक्ता तिलक, सिद्धार्थ शिरोले, उप महापौर सरस्वती शेंडगे, दीपक नागपुरे, राजेश येनपुरे शामिल थे.