कहावत है, ‘जिसको भगवान बचाता है, उसे कौन मार सकता है!’ लेकिन ‘कोरोना’ के वैश्विक संकट से अब किसी भी धर्म के कोई भगवान ईश्वर, अल्लाह, गॉड, वाहेगुरु भी बचाने नहीं आ पा रहे हैं. क्योंकि इन्हें भी ‘लॉकडाउन’ कर दिया गया है. कई धर्मस्थलों में तो भगवान को भी ‘मास्क’ पहनाए जाने के हास्यास्पद दृश्य सामने आए हैं. चैत्र नवरात्र के अंतिम दिन, 2 अप्रैल को श्रीराम नवमी है. इस दिन नागपुर समेत देश के कई शहरों-महानगरों में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जन्मोत्सव पर दिव्य-भव्य शोभायात्रा निकाली जाती रही है. लेकिन इस साल सब कैंसिल हैं. यानि इस पर भी कोरोना का कहर भारी पड़ गया है. मचा है कोहराम…. जय श्रीराम!
अर्थात मक्का से वैटिकन तक और करतारपुर से अयोध्या तक सारे ‘ऊपरवाले’, इन्सान पर आए संकट की इस घड़ी में सबके लिए उपलब्ध नहीं हैं. मक्का में सब-कुछ ठप है. पोप का गॉड से संवाद स्थगित है. ब्राह्मण पुजारी खुद मास्क पहनकर भगवान को भी पहना रहे हैं. धर्म ने कोरोना वायरस से भयभीत इन्सानों को असहाय छोड़ दिया है. अब तो कड़वा सच यही है कि इस दुनिया में कोरोना से बड़ा कोई धर्मनिरपेक्ष नहीं है. वह अपना ग्रास बनाने के लिए न हिन्दू देख रहा है, ना मुसलमान! न सिख देख रहा है, ना ईसाई! जीना कर दिया उसने हराम… जय श्रीराम!
पता है आपको…? काबा से लेकर मक्का तक सब-कुछ ठप है. मदीना में मोहम्मद पैगंबर के पवित्र स्थल की तीर्थयात्रा पर भी रोक लगा दी गई है. संभव है कि इस वर्ष हजयात्रा भी रोक दी जाए. देश की अनेक मस्जिदों में जुमे की नमाज भी नहीं हुई. जहां हुई, वहां भी चार-पांच नमाजी ही पहुंचे. वैष्णो देवी, तिरुपति बालाजी, शनि शिंगणापुर, अजमेर शरीफ, शिर्डी के साईं बाबा, उज्जैन के महाकाल और शेगांव के गजानन… आदि सारे धर्मस्थल बंद कर दिए गए हैं. आखिर क्यों? इसी डर से ना कि …अगर भक्तों में वायरस फैलेगा, तो उनको यहां विराजे भगवान या अल्लाह भी अब बचाने नहीं आ पाएंगे! ऐसा सिर्फ इसलिए, क्योंकि धर्म के ठेकेदारों को अच्छी तरह मालूम है कि अल्लाह या भगवान इस कोरोना महामारी से बचाने नहीं आ पाएंगे. अगर इस संकट से कोई बचा सकता है, तो वह है विज्ञान! यानि वैज्ञानिक, …जो इसके टीके के बनाने या उपचार ढूंढने में व्यस्त हैं. इसलिए सर्वत्र लगा है जाम, ….जय श्रीराम!
उधर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उस दिन, देर रात को रामलला की मूर्ति को चांदी के सिंहासन पर शिफ्ट करने भारी भीड़ के साथ अयोध्या पहुंच गए. यह भेड़चाल आखिर क्यों की गई? ईश्वर का अस्तित्व है, तो ‘रामलला’ को भक्तों के लिए क्यों नहीं खुला छोड़ा गया? श्रीराम पर भी ‘लॉकडाउन’ क्यों लागू कर दिया गया? कहते हैं कि श्रीकृष्ण जी लॉकअप में पैदा हुए थे. क्या इसीलिए ही द्वारका, मथुरा सहित तमाम बालाजी मंदिर और इस्कॉन के मंदिरों पर भी ताला जड़ दिया गया है? आखिर कहां हैं जगत के पालनहार, …जो खत्म करें ये हाहाकार? कोई तो ईश्वर दिखाएं चमत्कार …और करें इस महामारी का काम तमाम… जय श्रीराम!
बचपन में हम लोग एक खेल खेलते थे …’लूडो’. इस खेल में जो गोटी/ गोटियां घर के भीतर रहती हैं, उसे कोई नहीं मार सकता. आज हम सबकी जिंदगी में भी यही नियम लागू हो गया है. सच कहा जाता है, ‘वक्त दिखाई नहीं देता, लेकिन बहुत कुछ दिखा देता है.’ वह अब न तो अमीर देख रहा है, ना गरीब! ब्रिटेन के गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से लेकर हॉलीवुड-बॉलीवुड के स्टार्स तक को वह ‘औकात’ बता रहा है. कोरोना रूपी यह ‘वक्त’, …अब सब पर आ चुका है. इससे निजात पाने के लिए हमें खुद पर भरोसा रखना है, खुद को सुरक्षित रखना है. क्योंकि अब कोई भगवान या अल्लाह हमें बचाने नहीं आने वाला! हमको खुद करना है अपने जीने का इंतजाम, ….जय श्रीराम!