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90 साल पुरानी दवा से भागेगा कोरोना, पुणे के ससून में होगा क्लीनिकल ट्रायल

Tez Samachar by Tez Samachar
May 7, 2020
in Featured, पुणे, प्रदेश
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90 साल पुरानी दवा से भागेगा कोरोना, पुणे के ससून में होगा क्लीनिकल ट्रायल
पुणे (तेज समाचार डेस्क). कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच एक राहत की खबर आई है. इस महामारी के इलाज के लिए 90 साल पुरानी बीसीजी की दवा के क्लीनिकल ट्रायल को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है. यह ट्रायल पुणे के ससून हॉस्पिटल में किया जाएगा. फिलहाल मुंबई स्थित हाफकिन इंस्टीट्यूट में इस दवाई पर अनुसंधान चल रहा है. गौरतलब हो कि फ्रैंच बैक्टीरियालॉजिस्ट अल्बर्ट काल्मेट और कैमिल गुरीन को इस वैक्सीन को बनाने में 1908 से 1921 के बीच 13 साल का समय लगा था. अब तक इसका इस्तेमाल टीबी के मरीजों के लिए किया जाता है. अगर सब कुछ ठीक ठाक रहा तो कोविड-19 के खिलाफ भी ये वैक्सीन बड़ा हथियार बन सकती है.

– मध्यम असरवाले रोगियों पर किया जाएगा प्रयोग
पुणे के ससून हॉस्पिटल के अलावा बीजे मेडिकल कॉलेज में भी इस दवा का ट्रायल किया जाएगा. हालांकि, डब्लूएचओ ने कहा है कि अभी तक इसके कोई प्रमाण नहीं मिले हैं कि बीसीजी का टीका कोविड-19 के लिए कारगार है या नहीं. बीजे मेडिकल कॉलेज और ससून जनरल हॉस्पिटल्स के अधिष्ठाता डॉ. मुरलीधर तांबे ने कहा, वैक्सीन का अगले सप्ताह से कोविड -19 रोगियों पर ट्रायल शुरू किया जाएगा. इसका परीक्षण केवल मध्यम असर वाले रोगियों पर किया जाएगा. गंभीर या हल्के संक्रमण वाले रोगियों को इससे बाहर रखा गया है. ऐसे रोगियों में खांसी, बुखार और जुकाम जैसे लक्षण देखने को मिलते हैंं.

– हाफकिन के अधिकारियों ने किया बीजे मेडिकल कॉलेज का दौरा
मध्यम रोगियों पर इसके ट्रायल के पीछे का उद्देश्य यह है कि हम बीमारी की गंभीरता, अस्पताल में भर्ती होने की अवधि और इलाज के परिणामों की बारीकी से निगरानी कर सकें. डॉ. ताम्बे ने आगे बताया कि ट्रायल की अनुमति ड्रग कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया ने हाफकीन इंस्टिट्यूट को दी थी. इसके बाद हाफकीन के अधिकारियों ने रविवार को बीजे मेडिकल कॉलेज का दौरा किया और दो मीटिंग के बाद यहां पर इसके ट्रायल को मंजूरी दी गई है. हम हाफकीन विशेषज्ञों के साथ एक और चर्चा करेंगे ताकि रोगियों की वास्तविक संख्या तय की जा सके जो परीक्षण में शामिल होंगे. 1899 में स्थापित हुए था हाफकीन इंस्टीट्यूट हाफकीन इंस्टीट्यूट देश के सबसे पुराने बायोमेडिकल रिसर्च संस्थानों में से एक है. इसका नाम वैज्ञानिक डॉ. वाल्डेमर मोर्दकै हफकाइन के नाम पर रखा गया था जिन्होंने प्लेग के टीके का आविष्कार किया था. तब से, हाफकीन संस्थान संक्रामक रोगों के विभिन्न पहलुओं के प्रशिक्षण, अनुसंधान और परीक्षण में लगे एक बहु-आयामी संस्थान के रूप में उभरा है.
Tags: #trending newsClinical Trialcorona virushindi newsLock downsasoon HospitalSwab test
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