जामनेर मे बिना उखाड़े बन रही कॉन्क्रीट की सड़के
जामनेर (नरेंद्र इंगले): 2014 महाराष्ट्र मे भाजपा की सरकार गिरीश महाजन के रूप मे कैबिनेट मे मंत्रिपद का रसूख . 2014 से 2019 इन पांच सालो के दौरान शहर की सड़को पर JCB , POKLAND , ट्रक , डम्पर , मिक्सर , क्रेन , कंटेनर जैसे तमाम मशीनो का ऐसा परिचालन लोगो ने देखा की मानो समग्र विकास के लिए अभूतपूर्व जंग छेड़ दी गई हो और बस जामनेर बारामती से बढ़िया बन जाएगा . अखबारो मे 300 करोड़ तक के निधी की खबरे जुमले थे या सच आज तक किसी को पता नही . 70 करोड़ के सुरंगी नालियो का प्रोजेक्ट , 8 करोड़ का फोरलेन , शौचालय आदि बन गए पर स्पोर्ट स्टेडियम , हाकर्स ज़ोन , फ्री वायफाय , डंपिंग प्रोसेसिंग यूनिट , ट्रक टर्मिनल , कांग नदी के बहाव और कटाव से बचने के लिए सुरक्षा दीवार , निगम का कोई स्कूल , दवाखाना , घरकुल योजना की पूर्ती समेत अन्य काम नही हो सके . केंद्र सरकार से मिलनेवाले फंड के लिए नगर परिषद ने केंद्रीय टीमो की रिपोर्ट मे अपना नामांकन दर्ज कराने के लिए कमर कस ली . स्वच्छ सर्वे के लिए पधारे अधिकारियो के निरीक्षण हेतु गांधी चौक मे लगाए गए पौधे बाद मे बकरियो ने खा लिए जिनकी अब बस डांडिया बची है . 1997 मे सीमेंट से बनी शहर की पहली सड़क वीर सावरकर मार्ग को बिना उखाड़े कांक्रीट पोतकर पुननिर्माण किया जा रहा है . ठीक उसी प्रकार से निगम तिराहे से गांधी चौक तक कि सड़क को बनाया जा रहा है . उसके आगे जूना बोडवद सड़क को डामर की लितपोति कर दी गई है . पुराने जामनेर मे लगभग सभी सड़को को इसी तरह से बना दिया गया है . कॉलोनी एरिया मे डामर सड़को का काम कुछ इसी प्रकार से किया गया . सूत्रो के हवाले से बताया जा रहा है कि कथित ठेकेदार को बिना काम किए सरकारी तिजोरी से 30 करोड़ रुपयो के बिलो का भुगतान कर दिया गया है जब कि प्रस्तावित काम बाद मे आरंभ किए गए . नगरोथान के 9 करोड़ रुपयो के फंड के लिए मुंबई मंत्रालय तक भागदौड़ की गई . खैर जो भी हो 2014 – 19 के बीच शहर मे विकास को लेकर जो जुनूनी हवा बनाने की कोशिश की गई थी उसी हवा को हवा देने का काम वर्तमान मे किया जा रहा है . जो विकास कार्य किए जा रहे है उसमे गुणवत्ता नाम का कोई पैमाना नही है . इस पैमाने को नापने या जांचने की मांग करने वाला विपक्ष सदन से खत्म कर दिया गया है . जामनेर नगर परिषद राज्य मे एक लौती संस्था होगी जिसमे सत्तापक्ष का शतप्रतिशत बहुमत है .