नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क): फेसबुक अपने यूजर्स के अकाउंट को और सिक्योर बनाने के लिए अगले साल से फिजिकल सेफ्टी key की शुरुआत करने जा रहा है. कंपनी ने यूजर्स के प्राइवेट डेटा को सुरक्षित रखने के लिए 2021 में नए विकल्प देने की प्लानिंग में है जिससे उनके अकाउंट की सुरक्षा और बेहतर ढंग से हो सके. कंपनी के सुरक्षा नीति के प्रमुख नथानिएल ग्लीइकर ने एक बयान में कहा कि नए साल के लिए सोशल मीडिया की योजना यही है कि यूजर्स के लिए फिजिकल ‘सेफ्टी key के विकल्प की शुरुआत की जाए. सालों तक हमारे घर-संस्थान की सुरक्षा ताला-चाबी के हवाले रही। टेक्नोलॉजी का जमाना आया, तो इंटरनेट कंपनियों ने पासवर्ड रूपी ‘वर्चुअल की’ इजाद कर सुरक्षा के पैमाने ही बदल दिए। घर-दुकान, तिजोरी की सुरक्षा पासवर्ड के भरोसे हो गई। बैंक अकाउंट, लॉकर, घर का सिक्योरिटी सिस्टम इन ‘वर्चुअल की’ के मोहताज हो गए। अब यही टेक्नोलॉजी कंपनियां यदि पुराने जमाने की चाबी पर भरोसा करने लगें तो आप क्या कहेंगे…?
हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी सोशल नेटवर्क कंपनी फेसबुक ने घोषणा की है कि डेटा सुरक्षा को बेहतर बनाने के लिए वह अगले साल से दुनियाभर के यूजर को ‘फिजिकल सेफ्टी की’ (सुरक्षा कुंजी) उपलब्ध कराएगी। फेसबुक की सुरक्षा नीति के प्रमुख नथानिएल ग्लीइकर के मुताबिक, यूजर विभिन्न रिटेलर्स से ये टोकन या फिजिकल कुंजी खरीद सकेंगे। इन्हें ऑनलाइन भी खरीद सकेंगे। फेसबुक के साथ इसे रजिस्टर करते ही इसे इस्तेमाल कर सकेंगे।फेसबुक ने कहा है कि हैकर्स अहम लोगों के सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ी जानकारियों को निशाना बनाते हैं। आप सीईओ या बड़े नेता नहीं हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप अपने क्षेत्र के महत्वपूर्ण व्यक्ति नहीं हैं या आपको टारगेट नहीं किया जा सकता है। हैकर्स के खतरों से बचने के लिए फेसबुक अब तक प्रोटेक्शन के तहत टू-स्टेप वेरिफिकेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग का इस्तेमाल करता रहा है, लेकिन ‘फिजिकल सेफ्टी की’ की लॉन्चिंग से यह माना जा रहा है कि टेक्नोलॉजी कंपनियों को भी आखिर बरसों से चले आ रहे सुरक्षा मानकों पर ही लौटना पड़ रहा है।
फेसबुक का मानना है कि यूजर ‘सिक्योरिटी की’ का इस्तेमाल करेगा, तो हैकर उसके अकाउंट में घुसपैठ नहीं कर पाएगा, भले ही वह पासवर्ड क्रैक कर ले। अब तक फेसबुक ऐसी ‘वर्चुअल की’ अमेरिकी नेताओं, सरकारी एजेंसियों और मतदान कर्मियों जैसे हाई-प्रोफाइल अकाउंट के लिए उपलब्ध करवाता रहा है। अब अगले साल से दुनियाभर के आम यूजर भी मोबाइल एप और डेस्कटॉप पर लॉगइन से पहले पहचान सत्यापन के लिए ‘फिजिकल सेफ्टी की’ इस्तेमाल कर सकेंगे।
हैकर्स के खतरों से बचने के लिए फेसबुक प्रोटेक्ट में टू-स्टेप वेरिफिकेशन और रियल-टाइम मॉनिटरिंग शामिल है. वर्तमान समय में यह प्रोग्राम सिर्फ अमेरिकी राजनीतिज्ञों, पार्टी कार्यकर्ताओं,सरकारी एजेंसियां और मतदान कर्मियों के लिए ही उपलब्ध है. फिजिकल सेफ्टी की’ पेन ड्राइव की तरह होती है। इसे यूएसबी पोर्ट में लगाना होता है। गूगल ने सबसे पहले ‘यूएसबी सिक्यूरिटी की’ वर्ष 2014 में लॉन्च की थी। फेसबुक की ‘फिजिकल सेफ्टी की’ की कीमत क्या होगी, अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है।