गुरु नानक देव जी गए थे अयोध्या , प्रभु श्री राम के दर्शन के लिए
अयोध्या मामले पर फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों की पीठ के एक सदस्य ने कहा कि सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देवजी का सन् 1510-11 में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन करने के लिए वहां जाना हिंदुओं के मत और विश्वास को बल देता है. जज ने माना कि हिंदुओं का मत महत्वपूर्ण है. हालांकि निर्णय में जज का नाम नहीं दिया गया, लेकिन निर्णय में उनके विचार को परिशिष्ट के तौर पर जोड़ दिया गया.
शीर्ष अदालत ने पाया कि जन्मसाखी के बाद से राम जन्मभूमि की सही जगह की पहचान के लिए कुछ नहीं था, लेकिन गुरु नानक देवजी के अयोध्या यात्रा के सबूत हैं, जो बताता है कि सन 1528 से पहले भी श्रद्धालु अयोध्या में भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन करने के लिए जाते थे.
जन्मसाखी को अयोध्या मुद्दे पर रिकॉर्ड के तौर पर लाया गया था. जन्मसाखी को गुरु नानक देव जी की जीवनी कहा जाता है. अयोद्या के ऐतिहासिक निर्णय को सुनाते समय गुरु नानक देव जी के उल्लेख को क्रॉस एग्जामिनेशन करने के लिए सिख धर्म की धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक किताबें पढ़ने वाले राजिंदर सिंह नाम के एक गवाह का बयान भी दर्ज़ किया गया.
गवाह ने सिख धर्म और इतिहास के लिए कई किताबों का उल्लेख करते हुए गुरुनानक देव जी की अयोध्या यात्रा व राम मंदिर परिसर में संतों के साथ संवाद ,उपदेश के साक्ष्य भी प्रस्तुत किये . उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान के दर्शन किए थे.
एक प्रसंग के अनुसार अयोध्या में गुरु नानक देव जी ने रूढ़िवाद , ईश्वर के एकोमकार स्वरुप पर मार्गदर्शन किया. गुरुजी द्वारा अयोध्या पहुँचने पर जब उनसे मिलने अलग-अलग सम्प्रदायों के लोग पहुंचे तो लोगों के मन में कर्म काण्ड, की कुरीतियों के प्रश्न भरे पड़े थे. तब अयोध्या में गुरुजी ने कहा था की
जगन होम पुन तप पूजा देह दुखी नित दुख सहै. राम नाम बिन मुक्ति न पावसि मुक्ति नाम गुरमुखि लहै.
राम मंदिर के ऐतिहासिक निर्णय में गुरु नानक देव जी के रामलला दर्शन के बाद गुरु तेग बहादुर और उनके बेटे गुरु गोविंद सिंह द्वारा भी अयोध्या जाकर राममंदिर दर्शन का उल्लेख किया गया.