दोगलापन क्या होता है ? यह समझना हो तो आप जयप्रकाश चौकसे को पढ़िए । चौकसे जी प्रतिष्ठित अखबार दैनिक भास्कर में फिंल्मी कॉलम लिखते है । कहने को वो फिंल्मी कॉलम है लेकिन उनके एजेंडे पर वामपंथ विचारधारा ही होती है । अब आते है आज के मुद्दे पर ।
2018 में चला एक अभियान आप सबको याद ही होगा। वही “मीटू मूवमेंट”। जिसमें एक से लेकर एक बड़के-बड़के नेता और बॉलिवुड के सितारे फंसे थे। बीजेपी नेता एम. जे. अकबर से लेकर संस्कारी बाबू के नाम से मशहूर आलोकनाथ तक इसके लपेटे में आए थे। तब इन्ही चौकसे जी और इनके वामपंथी मित्रों ने इसको ले खूब हो हल्ला मचाया । लेकिन अब देखिए क्या हुआ ?
2 दिन पूर्व इस मूवमेंट का जिन एक बार फिर जाग गया । अबकी नाम आया थ्री इडियट्स, मुन्ना भाई एमबीबीएस और संजू जैसी बड़ी फिल्में बनाने वाले डायरेक्टर राजकुमार हिरानी का । हफिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हिरानी पर ‘संजू’ फिल्म में उनकी असिस्टेंट डायरेक्टर रही महिला ने सेक्शुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाया है।
महिला ने दावा किया था कि राजकुमार हिरानी ने नौ अप्रैल, 2018 को सबसे पहले उस पर यौन रूप से अश्लील टिप्पणी की और फिर उसके बाद अपने आवास-सह-कार्यालय पर उसका यौन उत्पीड़न किया। उसने कहा, “मुझे अभी भी अपने ये शब्द याद हैं… सर, यह गलत है..पद व सत्ता के ढांचे के कारण आपके पास सारी शक्ति है और मैं केवल एक सहायक होने के नाते कुछ भी नहीं हूं..मैं खुद को कभी भी आपसे व्यक्त नहीं कर पाऊंगी.” शिकायतकर्ता ने कहा कि हिरानी उसके पिता के समान हुआ करते थे। इसकी शिकायत महिला ने फ़िल्म के कर्ता धर्ता विधु विनोद चोपड़ा , उनकी पत्नी अनुपमा चोपड़ा सहित सभी संबंधित पक्षों को की । लेकिन कोई नतीजा नही आया । इस पर उन्होंने इस मसले को पब्लिक के बीच ले जाने का निश्चय किया ।
अब देखिए चौकसे साहब क्या कहते है? वे अपने कॉलम में लिखते है कि “हिरानी ऐसा कर ही नही सकते” । गोया हिरानी साहब ईश्वर से सर्टिफिकेट ले कर आये है। चौकसे जी इशारों इशारों में प्रभावित महिला को ही दोषी ठहराने का प्रयास कर रहे है । सिर्फ चौकसे नही सभी महिला सशक्तिकरण के के छद्म पैरोकारों की यही स्थिति है । राजू हिरानी क्योंकि उनकी जमात के है अतः वे सभी उनके समर्थन में उतर आये है।या तो वे चुप है या फिर वे पीड़ित महिला को ही आरोपी ठहरा रहे हैं।
जब आसाराम या राम रहीम जैसे बड़े धार्मिक नाम के खिलाफ पहली औरत ने शिकायत की, जब हॉलीवुड के सबसे बड़े नाम हार्वी वाइनस्टीन के खिलाफ पहली औरत ने बोला, वो असल में क्या चाहती थीं? क्या वो फुटेज चाहती थीं। मीडिया अटेंशन चाहती थीं? नहीं। वो न्याय चाहती थीं. वो अपने दोषी को सजा दिलाना चाहती थीं।
बीते साल सीरियल चाइल्ड मोलेस्टेशन के केस में दोषी करार दिए गए अमेरिकी स्पोर्ट्स डॉक्टर लैरी नासर का ट्रायल देखा है आपने? पीड़ित औरतों की बात सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पर जब महिला जज दोषी को सजा सुनाती है, ऐसा लगता है पूरे औरत समाज की जीत हुई है।
ऐसे में भारतीय औरतों को ध्यान रखना होगा कि अपना क्रोध जीवित रखें। अपने गुनहगारों के खिलाफ शिकायत लिखवाना न भूलें। उन्हें सजा जरूर दिलवाए। चौकसे जैसे महिलाओं के शोषण करने वालो की तरफदारी करने वालों से सावधान रहें ।
दैनिक भास्कर संपादक मंडल/ प्रबंधन से भी निवेदन है कि आज के कॉलम का संज्ञान लेकर चौकसे के विरुद्ध कदम उठाए।
सादर/साभार
सुधांशु