पिंपरी (तेज समाचार डेस्क). महामारी कोरोना के प्रकोप के चलते इस साल पैदल पालकी यात्रा रद्द कर दी गई है. उसी में दो दिन पहले ही आलंदी में कोरोना बाधित महिला की मौत हो गई. नतीजन पूरी आलंदी सूनी रही, मगर फिर भी वैष्णवों का उत्साह कहीं कम नहीं नजर आया. शनिवार की शाम पांच बजे के करीब संत ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी का टाल मृदंग की गूंज और माउली- माउली के जयकारों के साथ पंढरपुर की ओर प्रस्थान हुआ. जिला प्रशासन ने पालकी समारोह में वारकरियों की संख्या मर्यादित रखी थी मगर इसके बावजूद मौजूद वारकरियों के जयकारों से पूरी अलंकापुरी गूंज उठी. ज्ञात रहे कि जिला और पुलिस प्रशासन ने इस साल पालकी समारोह में केवल 50 लोगों की मौजूदगी के लिए ही अनुमति दी थी.
– कोविड-19 से अछूती आलंदी में दो दिन पहले ही कोरोना ने दी दस्तक
महामारी से अब तक अछूती रही आलंदी में आखिरकार कोरोना की एंट्री हो गई. दो दिन पहले कोरोना बाधित एक महिला की मौत हो गई. नतीजन पूरा परिसर सील किया गया है. मंदिर की ओर जानेवाले सभी रास्ते बंद रखे गए हैं. केवल पालकी के लिए अनुमति दिए गए लोगों को ही प्रवेश दिया जा रहा था. हर साल पूरे राज्यभर से आनेवाले लाखों वारकरियों से आलंदी भर जाती थी.
– इस साल पैदल यात्रा नहीं होगी
मगर इस साल कोरोना के चलते पूरी आलंदी सूनी रही, इंद्रायणी नदी घाट पर सन्नाटा छाया रहा. हालांकि पालकी प्रस्थान के लिए देऊलवाडा को फूलों से आकर्षक तरीके से सजाया गए था. इस साल पैदल पंढरपुर की यात्रा नहीं कर सकने का अफसोस वारकरियों में है साथ ही कोरोना महामारी के संकट से मुक्ति और उसे मात देते हुए जीने की शक्ति प्रदान करने की भावना हर किसी के मन में है.
– बालासाहेब आरफलकर ने की आरती
आज तड़के से घंटानाद, काकडा, पवमान अभिषेक आदि नैमित्यिक कार्यक्रमों के बाद दोपहर साढ़े 12 बजे माऊली को नैवद्य दिखाया गया. समाधि दर्शन पूरी तरह से बन्द रखा गया था. दोपहर के बाद प्रस्थान समारोह की शुरुआत हुई. ब्रम्हवृन्द ने माऊली की समाधि पर चांदी का मुखौटा रखा, गले में तुलसी और फूलों का हार पहनाया गया. हरिनाम की गूंज में ब्रम्हवृंद के मन्त्रघोष की शुरुआत हुई. पौने तीन बजे पालकी रथ के आगे सम्मानित 27 औऱ पीछे 20 दिंडी के पुणे निवासी निमंत्रित प्रतिनिधियों को छोड़ा गया. पुलिस चोपदारों की मदद से मंदिर में हर किसी की थर्मल स्क्रीनिंग कर भीतर प्रवेश दे रही थी. टाल मृदंग, पताका सभी सैनिटाइज किये गए. इस दौरान गुरू हैबतबाबा की ओर से बालासाहेब आरफलकर ने आरती की.
– नारियल का प्रसाद बांटा गया
इसके बाद देवस्थान की ओर से आरती हुई और सम्मानितों को नारियल का प्रसाद बांटा गया. प्रमुख विश्वस्त एड. विकास ढगे, समारोह प्रमुख योगेश देसाई, डॉ. अभय तिलक की मौजूदगी में आरफलकर और देवस्थान की ओर से दिंडीप्रमुख और सम्मानितों को प्रसाद दिया गया. इसके बाद संस्थान की ओर से दिंडीकरी, फडकरी को सम्मान के पागोटे दिए गए. यहां बालासाहेब आरफलकर, बालासाहेब चोपदार, राजाभाऊ चोपदार, रामभाऊ आरफलकर आदि उपस्थित थे. इसके बाद समारोह प्रमुख देसाई ने पालकी समारोह के मालिक आरफलकर के हाथों में माउली के पादुका सौंपे गए. पादुका लेकर वीणा मंडप से मंदिर प्रदक्षिणा के लिए निकले. इस दौरान “पुंडलिकवरदा हरी विठ्ठल हरी विठ्ठल’ के जयकारों से देऊलवाडा गूंज उठा. इसके बाद 17 दिनों के मुकाम के लिए पादुका माउली के ननिहाल में पहले विश्राम के ठहरी.