सावन सोमवार विशेष
‘ॐ जय शिव ओंकारा……’ , यह वह प्रसिद्ध आरती है जो देश भर में शिव-भक्त नियमित गाते हैं । लेकिन या तथ्य बहुत कम लोग जानते हैं कि इस आरती के पदों में ब्रम्हा-विष्णु-महेश तीनो की स्तुति है । जैसे-
एकानन (विष्णु ) चतुरानन (ब्रम्हा) पंचानन (शिव) राजे …
हंसासन(ब्रम्हा) गरुड़ासन(विष्णु ) वृषवाहन (शिव)
साजे…
दो भुज चार (विष्णु ) चतुर्भुज (ब्रम्हा) दसभुज (शिव)
ते सोहे …
चंदन ( ब्रम्हा ) मृगमद (कस्तूरी , विष्णु ) चंदा (शिव )
त्रिभुवन जन मोहे ….
श्वेताम्बर (ब्रम्हा ) पीताम्बर (विष्णु ) बाघाम्बर (शिव )
अगें ….
ब्रम्हादिक (ब्राम्हण , ब्रम्हा ) सनकादिक (सनक आदि , विष्णु ) भूतादिक ( शिव ) सगें ….
कर के मध्य कमंडल ( ब्रम्हा ) चक्र ( विष्णु ) त्रिशूल ( शिव ) धर्ता …
जगकर्ता ( ब्रम्हा) जगहर्ता ( शिव ) जग पालनकर्ता ( विष्णु )….
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका यानी अविवेकी लोग इन तीनो को अलग अलग जानते है । प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनो एका यानी सृष्टि के निर्माण के मूल ओंकार नाद में ये तीनो एक रूप रहते है , आगे सृष्टि निर्माण , पालन और संहार हेतु त्रिदेव का रूप लेते है ।
हर हर महादेव । ॐ नमः शिवाय ।🙏🙏
शिवाय अपने भक्तों पर अपनी कृपा-दृष्टि सदैव बनाए रखें!