हमीरपुर में सैकड़ों साल पुरानी रामलीला की परम्परा टूटी
लगातार अतिक्रमण से रामलीला मैदान भी सिकुड़ा, आवारा मवेशियों ने डाला डेरा
हमीरपुर (तेज समाचार डेस्क): हमीरपुर शहर में सैकड़ों साल पुरानी परम्परा की रामलीला को यहां ग्रहण लग गया हैं। वैसे देखा जाये तो कुछ दशक पूर्व रामलीला के मंचन के दौरान श्रीराम और लक्ष्मण को दर्शकों की भारी भीड़ के सामने मुर्गा बनाने की घटना ने आयोजकों को झकझोर कर रख दिया था। इसके बाद नौ दिनों तक चलने वाली रामलीला का आयोजन महज तीन दिन तक होने लगा लेकिन अब तो यह रामलीला की परम्परा पूरी तरह से ही खत्म हो गयी है जिससे स्थानीय लोग मायूस हैं।
हमीरपुर शहर के रहुनियां धर्मशाला के पास एक बड़े मैदान में रामलीला का आयोजन होता था। ये मैदान किसी जमाने में बहुत बड़े क्षेत्र में था लेकिन अतिक्रमण के कारण अब रामलीला का मैदान बहुत ही छोटा हो गया हैं। शहर के पुराना बेतवा घाट मुहाल निवासी वयोवृद्ध जगदीश प्रसाद उर्फ टिल्लू ने बताया कि रहुनियां में रामलीला के आयोजन का इतिहास करीब चार सौ साल पुराना हैं। शुरू में आसपास के कलाकार यहां आकर नौ दिनों तक लीला का सुन्दर मंचन करते थे। समय बदला तो रामलीला के आयोजन के लिये मथुरा और फतेहपुर से कलाकार बुलवाये जाने लगे। उन्होंने बताया कि हमीरपुर तहसील क्षेत्र में यहां की रामलीला बहुत ही विख्यात थी क्योंकि आसपास के तमाम गांवों के लोग भी बड़े ही उत्साह के साथ रहुनियां आकर रामलीला देखते थे। उस समय रामलीला का मंचन पूरी रात होता था। खासतौर पर लोग गर्म शाल लेकर रामलीला देखने आते थे मगर पिछले कुछ दशक से रामलीला की रौनक छटने लगी क्योंकि रामलीला मंचन के दौरान शरारती तत्वों ने उत्पात मचाने लगे थे जिन पर कड़ाई से शिकंजा नहीं कसा गया। इसीलिये लोगों ने मुंह फेर लिया। यहां के समाजसेवी अनवर खान ने बताया कि रहुनियां की रामलीला शारदीय नवरात्रि पर्व पर नौ दिनों तक होती थी। जिसे हिन्दुओं के अलावा मुस्लिम वर्ग के लोग भी देखने जाते थे। यहां की रामलीला सम्प्रदायिक एकता की मिसाल थी जो अब भूली बिसरी बातें हो गयी हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षक एवं साहित्यकार लखनलाल जोशी ने बताया कि पुरानी परम्परा की रामलीला स्थानीय कारणों के कारण अब नहीं होती हैं। उन्होंने बताया कि रहुनियां हमीरपुर की रामलीला का इतिहास सैकड़ों साल पुराना हैं जिसे कुछ सालों तक आयोजक परम्परा को आगे बढ़ाते रहे लेकिन अब इस लीला से लोग ही किनारा कर गये हैं। रामलीला कमेटी के प्रमुख रामकिशन सेठ के पुत्र रवीन्द्र कुमार ने बताया कि कमेटी में शामिल लोगों की मदद से पिता जी इस लीला का मंचन कराते थे मगर उनके जाने के बाद कोई भी इस परम्परा को आगे बढ़ाने के लिये नहीं आ रहा हैं।
दर्शकों के सामने राम, लक्ष्मण को बनाया गया था मुर्गा
हमीरपुर के वरिष्ठ नागरिक एवं पूर्व ग्राम प्रधान बाबूराम प्रकाश त्रिपाठी एवं अरविन्द शुक्ला ने बताया कि करीब दो दशक पूर्व रामलीला के मंचन के दौरान कुछ अराजकतत्वों ने असलहे लेकर स्टेट पर आ गये और श्रीराम व लक्ष्मण को हजारों दर्शकों के सामने मुर्गा बना दिया था। इससे दर्शकों में अफरातफरी मच गयी थी। इस घटना से स्थानीय लोगों में भी हायतौबा मची थी। बताते है कि रामलीला का मंचन करने वाले कलाकार भी डर के मारे अगले ही दिन यहां से वापस चले गये थे। रामलीला के आयोजकों ने इस घटना से दुखी होकर लीला का वृहद स्तर पर मंचन कराने से दिलचस्पी लेना बंद कर दिया था। इस घटना के बाद आयोजक महज तीन दिनों तक रामलीला का मंचन कराने लगे थे। इसके बाद सिर्फ धनुष यज्ञ की लीला करायी जाने लगी।
बिजनेस मैन ने रामलीला के लिये बनाई थी कमेटी
हमीरपुर शहर के ओमर नगर मुहाल निवासी रामकिशन सेठ ने रामलीला के आयोजन के लिये एक कमेटी बनायी थी जिसमें हरिकिशन सेठ सहित तमाम जाने माने व्यापारी इस कमेटी में सदस्य थे। रहुनियां के रामलीला मैदान में भी कई दुकानें किराये पर थी जिसकी आमदनी भी रामलीला के आयोजन में खर्च की जाती थी। शहर के लोग भी इसके आयोजन के लिये खुलकर चंदा देते थे। मगर पिछले कुछ दशक से ये कमेटी भी निष्क्रिय हो गयी। वर्ष 2016 तक कमेटी के प्रमुख रामकिशन किसी तरह चंदा लेकर दो तीन दिनों के लिये रामलीला का आयोजन कराया हैं। उसके बाद फिर यह रामलीला नहीं हुयी। पिछले साल कमेटी के प्रमुख के निधन के बाद इस लीला के बारे में सोचना ही बंद कर दिया हैं। कमेटी के अधिकांश सदस्य इस संसार में नहीं रहे।