पुणे (तेज समाचार डेस्क). ससून एवं प्राइवेट हॉस्पिटल में प्रति माह कोरोना के करीब 400 से 500 मरीजों की मौत हो रही है, मगर उन्हें कोरोना मरीज नहीं माना जाता क्योंकि उनमें से कुछ हॉस्पिटल में भर्ती कराने से पहले तथा कुछ भर्ती कराने के तुरंत बाद दम तोड़ देते हैं. मौत के बाद एक्स-रे जांच में उनमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं. यह चौंकाने वाली बात महापौर मुरलीधर मोहोल ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से कही. महापौर मोहोल ने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच करवाने की मांग भी की है. पुणे परिसर की स्थिति का जायजा लेने हेतु मुख्यमंत्री ठाकरे द्वारा आयोजित विधायकों, सांसदों व अन्य जनप्रतिनिधियों की बैठक में महापौर मोहोल भी उपस्थित थे. बैठक के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने यह बात कही.
– कई मृतकों की नहीं हो की जाती कोरोना जांच
उन्होंने कहा कि कई बार ऐसे बीमार व्यक्ति जिन्होंने कोरोना जांच नहीं कराई है, उनकी हॉस्पिटल में भर्ती कराने से पहले या भर्ती कराने के तुरंत बाद मौत हो जाती है. केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के
अनुसार मौत के बाद मृतक का कोरोना टेस्ट नहीं किया जाता. ससून हॉस्पिटल प्रशासन का भी यही कहना है. जब मृतक की छाती का एक्स-रे टेस्ट किया जाता है, तब उसमें कोरोना के लक्षण पाए जाते हैं. हर रोज करीब 12 ऐसे केस सिर्फ ससून हॉस्पिटल में पाए जा रहे हैं.इस महीने ऐसे मरीजों की संख्या साढ़े तीन सौ से ज्यादा हो गई है. प्राइवेट हॉस्पिटल में भी प्रतिदिन 50 से 100 ऐसे केस देखे जा रहे हैं. प्रशासन के लिए इस स्थिति पर नियंत्रण हेतु ठोस कदम उठाना जरूरी है.
– वास्तविकता सामने आनी चाहिए
महापौर मोहोल ने कहा कि, मैं प्रशासन पर कोई आरोप नहीं लगा रहा हूं, मगर वास्तविकता सामने आनी चाहिए. इससे यह स्पष्ट होता है कि प्राइवेट हॉस्पिटल एवं प्रशासन के बीच समन्वय का अभाव है. पुणे मनपा द्वारा अब तक 250 से 300 करोड़ रुपए खर्च किए जा चुके हैं. जम्बो हॉस्पिटल के निर्माण हेतु 25% खर्च उठाने के लिए भी तैयार हैं, मगर मनपा की भी कुछ सीमाएं हैं. उस सीमा के बाद राज्य सरकार को मदद करनी चाहिए. ससून हॉस्पिटल एवं राज्य सरकार की सहायता से टेस्टिंग की संख्या में वृद्धि को लेकर चर्चा हुई थी, मगर उसे क्रियान्वित नहीं किया गया. इसके चलते मैंने ससून हॉस्पिटल एवं एनआईवी में टेस्टिंग की क्षमता में वृद्धि की मांग की है.
– निजी अस्पतालों के बिलों का प्री ऑडिट हो
मुरलीधर मोहोल ने कहा कि, प्राइवेट हॉस्पिटलों के 80% बेड मनपा के कब्जे में लिए जाने की बात कही जाती है, मगर यह वास्तविकता नहीं है. प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा दिए जाने वाले भारी-भरकम बिलों के चलते नागरिकों को आर्थिक व मानसिक परेशानी होती है. प्राइवेट हॉस्पिटल द्वारा दिए जाने वाले बिलों का प्री ऑडिट जरूरी है. साथ ही आईसीयू एवं ऑक्सीजन बेड्स की कमी के चलते जम्बो हॉस्पिटल के निर्माण से पहले प्रशासन द्वारा यह सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.