-15 दिनों के भीतर बढ़ी पानी के टैंकरों संख्या
पुणे (तेज समाचार डेस्क). कम बारिश के चलते इस वर्ष जिले में पहले से ही सूखे के हालात बने हुए हैं. ऐसे में सूखे का यह इफेक्ट दिन-ब-दिन बढ़ता ही जा रहा है, जिससे पिछले 15 दिनों में टैंकरों की सख्या बढ़ाई गई है. इस संख्या को आने वाले समय में और बढ़ाने के अंदेशे से प्रशासन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
– छोटे तालाब, बांध सूखे
– छोटे तालाब, बांध सूखे
बता दें कि, इस वर्ष कम बारिश तथा वापसी की बारिश के चकमा देने के कारण जिले में सूखे की स्थिति गंभीर बनी हुई है. पानी न होने के कारण छोटे तालाब, बांध सूखते जा रहे हैं. कई गांवों में औसत से काफी कम बारिश हुई है. जिससे इन गांवों में ठण्ड के मौसम में ही टैंकर से पानी सप्लाई करना पड़ रहा है. इस समय जिले में 61 टैंकरों के माध्यम से 35 गांवों के 1 लाक 18 हजार लोगों की प्यास बुझाई जा रही है. पिछले 15 दिनों से पानी की किल्लत तेजी से बढ़ने के कारण टैकरों की संख्या को भी बढ़ाया जा रहा है. यही हाल रहा तो आने वाले समय में जिले के कई गांवों में टैंकरों से जलापूर्ति करनी पड़ सकती है.
– टैंकरों से हो रही जलापूर्ति
– टैंकरों से हो रही जलापूर्ति
इस समय जिले के भोर, मावल, मुलशी तथा वेल्हा तहसील को छोड़कर बाकी बाकी सबी नौं तहसीलों के कई गांवों में टैंकर से जलापूर्ति करनी पड़ रही है. शिरूर और बारामती तहसीलों में सबसे ज्यादा टैंकरों से जलापूर्ति करनी पड़ रही है. बारामती तहसील के 14 गांवों के 35 हजार 736 लोगों को 19 टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है. इसके अलावा शिरूर तहसील के 6 गांवों के 37 हजार 449 लोगों को 17 टैंकरों से, आंबेगांव तहसील और दौंड तहसीलों में 7 टैंकर से, जुन्नर, खेड, पुरंदर तहसील में 3 टैंकरों से, हवेली, इंदापूर तहसीलों में एक-एक टैंकरों से जलापूर्ति की जा रही है. इनमें से 51 टैंकर निजी तथा 10 टैंकर सरकारी है.
– चारे की समस्या भी गहराई
सूखे की इस गंभीर स्थिति में जहां एक ओर जिले के 379 गांवों-बस्तियों के लोगों को पानी के लिए भटकना पड़ रहा है, वहीं सूखे का प्रकोप मवेशियों को भी अपनी चपेट में ले रहा है. क्योंकि सूखे की इस गंभीर स्थिति में चारे की भीषण किल्लत का सामना करना पड रहा है. इससे निपटने के लिए पशुसंवर्धन विभाग की ओर से प्रयास किए जा रहे है. जिस तहसील में ज्यादा चारे का उत्पादन हुआ वहां से जिस तहसील में किल्लत है, वहां उसे ले जाने का नियोजन हो रहा है. इससे सूखे के भीषण हालात में मवेशियों को बचाने का प्रयास हो रहा है.