पिंपरी (तेज समाचार डेस्क). कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर सार्वजनिक शौचालयों की साफसफाई करनेवाले 469 कर्मचारियों को 20 साल के लंबे संघर्ष के बाद इंसाफ मिल ही गया.समान काम-समान वेतन कानून के तहत उन्हें वेतन का फर्क और ब्याज देने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है.इसके अनुसार पिंपरी चिंचवड़ मनपा ने 469 कर्मचारियों के एकाउंट में 39 करोड़ रुपए जमा कराए.इसकी जानकारी राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी के अध्यक्ष यशवंत भोसले ने दी.
करोड़ो कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
मंगलवार को संवाददाता सम्मेलन में उन्होंने कहा कि, सर्वोच्च न्यायालय के इस ऐतिहासिक फैसले का लाभ देशभर के करोड़ो कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों को मिलेगा. भोसले ने कहा, जनवरी 1998 से सितंबर 2004 तक मनपा के झोपडपट्टी निर्मूलन पुनर्वसन स्थापत्य, स्वास्थ्य व चिकित्सा विभाग के शौचालय, वाईसीएम हॉस्पिटल की सफाई का काम का ठेका सुलभ इंटरनेशनल, विशाल एंटरप्राइजेस और एम. पी. एंटरप्राइजेस को दिया गया था.उनके पास 572 कर्मचारी कार्यरत थे.राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी ने इन कर्मचारियों को समान काम-समान वेतन देने की मांग की थी, जिसे मनपा प्रशासन ने अनसुना कर दिया.
इसके चलते 2001 में उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई. 2004 में इस याचिका की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने कहा कि इन कर्मचारियों को वेतन देने की प्राथमिक जिम्मेदारी संबंधित ठेकेदारों की है, जिसे निभाने में वे असफल रहे.ऐसे में उनके वेतन की जिम्मेदारी मनपा को वहन करनी चाहिए.उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी मनपा ने उसकी अमलबाजी नहीं की और फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी.
सर्वोच्च न्यायालय ने भी उच्च न्यायालय के फैसले को कायम रखते हुए मनपा की अपील को नामंजूर कर दिया.इसके बाद भी फैसले की अमलबाजी नहीं किये जाने से 18 नवंबर 2016 को मनपा आयुक्त के खिलाफ न्यायालय के आदेश की अवमानना की याचिका दायर की गई.
समान काम समान वेतन –
2018 तक चली सुनवाई में मनपा ने अदालत को बताया कि कर्मचारियों की पड़तालनी नहीं हो पा रही है.उस पर अप्पर श्रम आयुक्त शैलेंद्र पोल ने रिकॉर्ड चेक किया और उनकी लिस्ट में 469 कर्मचारी पाए गए. उन्हें समान काम समान वेतन के फैसले के मुताबिक ब्याज समेत फर्क राशि देने का आदेश उन्होंने दिया.
इस आदेश को उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय ने कायम रखा.इसके अनुसार मनपा ने 469 में से 450 कर्मचारियों के एकाउंट में 38 करोड़ रुपये जमा कराए.कुछ कर्मचारियों की मौत हो चुकी है उनके वारिसों के नाम से चेक जारी किए जाएंगे.राष्ट्रीय श्रमिक आघाडी की ओर से सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ विधिज्ञ संजय हेगडे, प्रशांत शुक्ला, उच्च न्यायालय में राजीव पाटील, विशाल कोलेकर ने पैरवी की.2001 में एड. नितीन कुलकर्णी ने मुकदमा दायर किया था.