नई दिल्ली (तेज समाचार डेस्क). पंजाब में कांग्रेस के लिए रोज नई मुसीबतें खड़ी हो रही हैं. नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हमला बोला हैं. अब कैप्टन की मांग है कि नवनियुक्त राज्य इकाई के प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू उनसे अपने पुराने बयानों के लिए सार्वजनिक माफी मांगे, तभी बात आगे बढ़ेगी. कैप्टन का यह रवैया स्पष्ट करता है कि पंजाब कांग्रेस की कलह अभी समाप्त नहीं हुई और ये लंबी खिंचने वाली है.
दरअसल, सोनिया गांधी द्वारा नवजोत सिंह सिद्धू के पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए जाने के बाद सीएम अमरिंदर सिंह पर भी दवाब बढ़ने लगा था. कैप्टन के लिए ये इतना बड़ा झटका है कि मुख्यमंत्री ने सिद्धू को पदोन्नति पर अभी तक बधाई भी नहीं दी है. इतना ही नहीं इसी बीच कुछ अफवाह ऐसी भी उड़ी थीं कि नवजोत सिंह सिद्धू ने मुख्यमंत्री से मिलने के लिए समय मांगा है, परंतु अमरिंदर सिंह के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने मंगलवार को उन खबरों का खंडन किया और कहा, “नवजोत सिंह द्वारा कैप्टन अमरिंदर से मिलने के लिए समय मांगने की रिपोर्ट पूरी तरह से झूठी है. कोई समय नहीं मांगा गया है. मुख्यमंत्री के रुख में कोई बदलाव नहीं है अमरिंदर, सिद्धू से तब तक नहीं मिलेंगे जब तक कि वह सार्वजनिक रूप से उनके खिलाफ लगाए गए व्यक्तिगत आरोपों के लिए सार्वजनिक रूप से माफी नहीं मांग लेते.”
इन सबमें ध्यान देने वाली बात ये है कि नवजोत सिंह सिद्धू ने पिछले दो महीनों के दौरान 150 ट्वीट और फेसबुक पोस्ट किए, जिनमें उन्होंने मुख्यमंत्री के खिलाफ कठोर बयानबाजी की है. सिद्धू ने कैप्टन पर शिरोमणि अकाली दल के बादल परिवार के साथ मिलीभगत करने से लेकर चुनावी वादों को न पूरा करने जैसे आरोप लगाए थे. यही नहीं उन्होंने गुरुग्रंथ साहिब को अपवित्र करने या नुकसान पहुंचाने वाले मामले पर भी दोषियों को सजा न दिलवाने का आरोप कैप्टन पर ही लगाया था. इसका अर्थ यह हुआ कि जब तक नवजोत सिंह सिद्धू सार्वजनिक माफी नहीं मांगते तब तक अमरिंदर सिंह उनसे नहीं मिलने वाले, और न ही दोनों के बीच कोई सुलह होंने वाली है. ऐसे में अगर कांग्रेस के मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बीच समन्वय ही नहीं होगा, तो कांग्रेस का गर्त में जाना तय है. वहीं अगर नवजोत सिंह सिद्धू कैप्टन से माफी मांग लेते हैं तो इसका मतलब होगा उनके द्वारा कैप्टन पर लगाए गए आरोप फर्जी थे. सिद्धू के मांफी मांगने के बाद उनकी और कांग्रेस आलाकमान की ही फजीहत हो सकती है.
कैप्टन की नाराजगी तो खत्म होगी, परंतु यह सिद्धू की सार्वजनिक छवि के लिए एक झटका होगा तथा उनके सहयोगियों के साथ एक विश्वासघात होगा. यही कारण है कि सिद्धू का खेमा माफी के मूड में नहीं है. कई कांग्रेस नेताओं के साथ-साथ सिद्धू के समर्थकों ने भी माफी की मांग को नकार दिया है. सिद्धू के करीबी और विधायक परगट सिंह ने कहा, “सिद्धू को सीएम से माफी क्यों मांगनी चाहिए? यह कोई सार्वजनिक मुद्दा नहीं है. सीएम को अपने वादों को पूरा नहीं करने के लिए जनता से माफी मांगनी चाहिए.”
इसके इतर कैप्टन के साथी कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा और त्रिपत राजिंदर सिंह बाजवा ने भी सिद्धू के पक्ष में बयान देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री को अपना अहंकार छोड़ देना चाहिए. अगर इस अंतर्कलह के लिए कोई जिम्मेदार है तो वह कांग्रेस आलाकमान ही है. पिछले कई महीनों से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की अनदेखी की जा रही है. इसी वजह से कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थक और MLA भी चुप हैं, कि कहीं उन्हें भी हाई कमान की नाराजगी का सामना न करना पड़े. रिपोर्ट्स की मानें तो केवल एक कैबिनेट मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने सिद्धू के खिलाफ आवाज उठाई है.
भले ही हाईकमान का विश्वास सिद्धू पर है, परंतु अब चुनाव से ठीक पहले इस अंतर्कलह का सार्वजनिक होना कांग्रेस के लिए ही घातक साबित होगा. भले ही सिद्धू पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बन चुके हैं, लेकिन मोदी लहर के बीच कांग्रेस को पंजाब में जीत दिलाने वाले कैप्टन अमरिंदर सिंह के समर्थकों की संख्या अभी भी उनसे कहीं अधिक है. ऐसे में जब तक यह अंतरिक लड़ाई समाप्त नहीं होती, तब तक कांग्रेस का विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल है. अब यह देखना अहम होगा कि सिद्धू कैप्टन से माफी कब मांगते है, या यह लड़ाई पंजाब में कांग्रेस को पूर्णतः मटियामेट कर देती है.