पुणे (तेज समाचार डेस्क). एक ओर कोरोना के मरीजों की बढ़ती संख्या के चलते इसके इलाज में कारगर साबित रेमडिसीवीर इंजेक्शनों की किल्लत बनी हुई है। वहीं दूसरी ओर इसकी कालाबाजारी और फर्जीवाड़ा जोरों में शुरू है। पुणे ग्रामीण पुलिस की बारामती पुलिस ने एक ऐसी गैंग का पर्दाफाश किया है जोकि रेमडिसीवीर इंजेक्शनों की खाली बोतलों में सीरीज के जरिये पैरासिटामोल की दवाई भरकर उसे रेमडिसीवीर इंजेक्शन बताकर बेचने का गोरखधंधा कर रही थी। पुलिस अधीक्षक डॉ अभिनव देशमुख ने इस कामयाबी के लिए पुलिस टीम को 25 हजार रुपए के पुरस्कार की घोषणा की है।
4 आरोपी गिरफ्तार
पुलिस ने इस गैंग पर शिकंजा कसते हुए चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है। उनमें दिलीप ज्ञानदेव गायकवाड, शंकर दादा भिसे (दोनों निवासी काटेवाडी, ता.बारामती, पुणे), संदीप संजय गायकवाड (निवासी भिगवण, ता.इंदापूर, पुणे), प्रशांत सिद्धेश्वर घरत (निवासी भवानीनगर, ता. इंदापूर, पुणे) का समावेश है। इसके साथ ही इस गोरखधंधे में इस्तेमाल किये जानेवाले वाहन जब्त किए हैं। इसकी जानकारी बारामती के उपविभागीय पुलिस अधिकारी नारायण शिरगावकर और बारामती तालुका पुलिस थाने के पुलिस निरीक्षक महेश ढवाण ने शनिवार को एक सँवाददाता सम्मेलन में दी।
उपमुख्यमंत्री अजीप पवार ने दिए सख्त कार्रवाई के आदेश
उन्होंने बताया कि, जिले में रेमडिसीवीर इंजेक्शनों की किल्लत और उसकी कालाबाजारी के मद्देनजर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कालाबाजारी करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के आदेश दिये हैं। इसके अनुसार, शुरू की गई जांच पड़ताल में पुलिस को पता चला कि एक व्यक्ति 35 हजार रुपए में रेमडिसीवीर इंजेक्शन बेच रहा है। उसका नँबर हासिल कर दो इंजेक्शन की मांग की गई। उसने 70 हजार रुपए में दो इंजेक्शन देने की बात की। सब तय करने के बाद पुलिस टीम ने बारामती के पेंसिल चौक में जाल बिछाया। यहां फॉर्च्यूनर गाड़ी इंजेक्शन देने आए प्रशांत घरत और शंकर भिसे को हिरासत में लेकर उनके पास से दो इंजेक्शन बरामद किए गए। ये इंजेक्शन नकली थे ये लोग रेमडिसीवीर की खाली बोतलों में पैरासिटामोल दवाई भरकर उसे मनमाने दामों पर बेचते थे। इस रैकेट के सूत्रधार दिलीप ज्ञानदेव गायकवाड़ और संदीप संजय गायकवाड़ को भी हिरासत में लिया गया। संदीप अलग अलग अस्पतालों में काम करते हुए वहां से रेमडिसीवीर इंजेक्शन की खाली बोतले जमा करता था, दिलीप उसमें सीरीज से पैरासिटामोल भरता और प्रशांत व शंकर उसे जरूरतमंद लोगों को 35 हजार रुपए में बेचते थे। अब पुलिस इस रैकेट के तार कहाँ तक जुड़े हैं, इसमें कौन कौन शामिल है, आदि जांच करने में जुट गई है।