आंशिक तालाबंदी मे शराब दुकानो की चांदी , गरीब व्यवसायी परेशान
जामनेर (नरेंद्र इंगले): कोरोना के बढ़ते केसेस के कारण राज्य की उद्धव ठाकरे सरकार ने तालाबंदी को आंशिक रूप से अमल मे लाना शुरू कर दिया है . संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए कही भी भीड़ को जमा होने का मौका न मिले इसके लिए जलगांव जिले मे जिलाधिकारी के आदेश से जनता कर्फ्यू , नाइट कर्फ्यू , धारा 144 जैसे अधिकारो के प्रयोग किए जा रहे है . अपनी नाकामी छिपाने के लिए सरकारो ने जनता मे भय का संक्रमण कर तालाबंदी को कोरोना की दवा बना दी है . आपदा को अवसर मे बदलने का साहस रखने वाले वैध तथा अवैध शराब के दुकानो की चांदी हो रही है . दुगने दामो मे धड़ल्ले से शराब बेची जा रही है . जामनेर मे शाम 7 से सुबह 7 बजे तक 12 घंटे का कर्फ्यू लगा दिया गया है . पूरा मार्केट बंद करवाया जाता है पर शराब की दुकाने छोड़कर . शहर के बाहरी इलाको मे भट्टी की दारू बेचने वाले कर्फ्यू को ताक पर रखकर लाखो रुपया कमा रहे है . पुलिस का डंडा सिर्फ ईमानदारो के लिए हि आजमाया जा रहा है . आम व्यवसायी छोटे दुकानदार , मंझोले और ठेला धारको का व्यापार चौपट हो चुका है . सोयाबीन बिरयानी बेचने वाले विनोद ने बताया कि हमारी ग्राहकी शाम 7 बजे के बाद शुरू होती है , कोरोना के कारण व्यापार कम है अब कर्फ्यू से तो सब खत्म हो गया . EMI , बिजली बिल , मकान का किराया , बच्चो की पढ़ाई का खर्चा यह सब कहा से मैनेज करेंगे . विनोद यह सवाल भी पूछते है कि बंगाल समेत चुनावी राज्यो मे कोरोना क्यो नही ? महंगाई ने आम आदमी की बचत खत्म कर दी है तो तालाबंदी ने उसे कर्ज मे धकेल दिया है . मुख्यमंत्री के आवाहन के बाद जनता ने कोरोना से लड़ने के लिए अनुशासन को कर्तव्य के रूप मे अमल मे लाया है . लोगो की यही मांग है कि तालाबंदी को दवा की तरह उपयोग मे लाने के बजाय मेडिकल सुविधाओ को मजबूत बनाया जाए . सभी तबकों की रोजीरोटी को ध्यान मे रखकर तालाबंदी की समयसारणी को तय किया जाना चाहिए .