भोजन योजना : मरीजो के मुंह से निवाला छीनकर किया जा रहा है करोड़ो का भ्रष्टाचार : जांच की मांग
जामनेर (नरेन्द्र इंगले): राज्य सरकार के स्वास्थ मंत्रालय द्वारा सूबे के सभी जिला , उपजिला तथा ग्रामीण अस्पतालो मे उपचाररत इनडोर यानी इलाज के लिए दाखिला ले चुके गरीब मरीजो को दो वक्त का भोजन और सुबह का चाय नाश्ता मुफ़्त मे दिया जाता है . इस योजना का पैसा सरकार की ओर से सीधे जिला शल्य चिकित्सक को ट्रांसफर किया जाता है . शल्य चिकित्सक की ओर से संबंधित ठेकेदार को बिल के रूप मे महीने के अंत मे भोजन का पैसा अदा किया जाता है . इस योजना मे कमाल की गड़बड़ीया सामने आ रही है . मेन्युकार्ड के अनुसार मरीजो को खाना नही दिया जा रहा है . मेन्युकार्ड जो सरकार की ओर से निर्धारित किया गया है उसके मुताबिक मरीजो को दाल चावल रोटी सब्जी देनी है तो ठेकेदार की ओर से इन सब की जगह खिचड़ी और कढ़ी देकर रोटी , सब्जी , दाल डिश से गायब कर गेंहू , दाल , हरी सब्जी का पैसा बचाया जाता है जब कि सरकार की ओर से ठेकेदार को दाल चावल रोटी सब्जी का पूरा पैसा बहाल किया जाता है . ठेकेदार इस चालाकी को हर रोज दोहराकर हफ्तेभर के मेन्युकार्ड की धज्जियां उड़ाकर कम लागत मे लाखो रुपया कमा रहा है . महीने के आखिर मे अस्पतालो के बाबू लोग ठेकेदार से घुस मे मिले रुपयो से अपनी जेब गर्म करके भोजन बिलो का ब्यौरा बनाकर वरिष्ठ स्तर पर भेज देते है जहाँ ऊपर बैठे अधिकारी भी अपना कमीशन लेकर ठेकेदार के भोजन बिल सरकारी तिजोरी से पास करवा देते है . जानकारी के मुताबिक नासिक की किसी NGO को भोजन प्रबंधन तथा वितरण का ठेका दिया गया है . NGO ने जिला और ब्लाक स्तर पर सह ठेकेदारो का जाल बिछा रखा है जो भोजन प्रबंधन का कामकाज संभालते है . इस पूरे मामले की अगर जांच की गई तो करोड़ो रुपयो के भ्रष्टाचार का पर्दाफाश होगा . NCP के एक पदाधिकारी ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर इस भोजन घपले के मामले की जानकारी दी है . प्रदेश का प्रत्येक टैक्स पेयर्स सिटीजन सूबे के सबसे बड़े विपक्षी दल बीजेपी से यह उम्मीद कर सकता है कि वो राज्यपाल बनाम सरकार इस झमेले मे पड़ने के बजाय लोकहित मे इस योजना मे लिप्त भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचे .